Monday, July 17, 2023

तुम्हारे सवाल तुम्हारे औकात का आईना हैं


 तुम्हारे सवाल तुम्हारे औकात का आईना हैं,

संसारी सवाल का जो जवाब मैं देता हूँ वो या तो झूठ होता है या मनोरम कहानियाँ,

ढ़ांचे के अंदर बैठ के पूछे गए सवाल ढांचागत ज़वाब ही चाहता है,

वहाँ सवाल भी बातें हैं बस—एक फ़र्ज़ निभाया गया है, जवाब ना भी दो तो जवाब मान कर ही पूछा गया है,

एक घटिया माहौल वो है जहां भीतर की बेचैनी को बाहर निकालने की एक उन्नत कलात्मकता निवृत्ति का सर्वथा अभाव हो,

जहाँ माहौल इतना सघन पदार्थवादी हो कि कला अंदर ही दम तोड़ दे और तुम्हें पता भी ना चले,

 कुछ हुआ था क्या?

 ढ़कार भी ना उठे।

(From Mobile Notes written on May 2023)