उनका सबसे बड़ा डर असफल होने का है, इसलिए वो भीड़ से अलग कुछ भी करने की कभी हिम्मत नहीं जुटा पाते,
Tuesday, May 31, 2022
प्रैक्टिकल लोग
उनका सबसे बड़ा डर असफल होने का है, इसलिए वो भीड़ से अलग कुछ भी करने की कभी हिम्मत नहीं जुटा पाते,
Wednesday, May 25, 2022
फितरत
सवालों पर उलझते, फिसलते कहीं दूर चला जाता हूँ,
और फिर वापस आने पर पता चला कि सारी उलझ बेकार थी,
क्योंकि कहीं पहुचना ही न था, बस थोड़ा भागना था,
भागना क्यों था, क्योंकि फितरत ही ऐसी हो गई है,
अब तो रुक जाना था, क्य़ा वो नहीं मिल गया जो सब तलाश का ही अंत कर दे,
नहीं मिला तभी तो भाग रहा हूं,
पर कब तक कभी तो रुकना होगा .
Sunday, May 8, 2022
असमंजस
रास्ता बना हुआ नहीं है, बनाना पड़ेगा, मुश्किल है,
बने बनाए रास्तो पर चलना आसान था,
अब कुछ आसान नहीं होगा,
आसमान मंजिल है और पैर जमीन पर,
ख्वाब और अतीत भ्रम है, तो सच क्या है,
मेरा क्या है, या मेरा कुछ नही,
अतीत की परछाई कमजोरी और डर साथ लाती है,
डरते डरते ही सही, चलना तो होगा,
ना कहीं पहुचना है, ना जितना है,
पर सारे बंधनों से मुक्त होना है, संपूर्ण आजादी चाहिए,
जहा डर और कमजोरी का नामोनिशान ना हो .
Sunday, May 1, 2022
मैं, हम और प्रकृति
तारे गिनता हूँ,
चांद को देखता हूं,
नदी में नहाता हूँ,
पेड़ों को गौर से देखता हूँ,
जंगल में जोर की साँस लेता हूँ,
कमल से भरे तालाब में शिसम के सूखे पत्ते को गिरते देखता हूँ,
एक छोटी बैंगनी रंग और काली चोंच वाली चिडिया को सहजन के फ़ूलों का रस पीते देखा,
उसी कमल के तालाब पे पांचवे दिन एक छोटी काली मछली को छलांग लगाते देखा,
दिल खुश हो गया,
खुद से और ज्यादा प्यार हो गया ,
पता लगा कि इंसानो के विपरित प्रकृति ढोंग और भेद भाव नही करती .