Saturday, June 25, 2022

कलयुग का प्यार, दोस्ती और रिश्तेदारी

 

आजकल के लोग ऐसे हो गए हैं कि उन्हें कभी किसी से सचा प्यार हो ही नहीं सकता, बस जिंदगी की गाड़ी साथ चलाने के लिए साथ आ गए हैं, प्यार जैसा कुछ नही है.  सब सुख चुके हैं अंदर से,  पतझड़ बिखरा पड़ा है.  कोई समर्पण नहीं, कोई झुकाव, लगाव,  गहराई नही,  बस जीने के लिए एक दूसरे को पकड़ रखे हैं. उबाऊ लगता है ये सब,  प्यार में तो कुछ भी कर जाने का जुनून होना चाहिए,  ऐसे कैसे हो गये हैं लोग. प्यार में भी ये कई विकल्प रखते हैं,  जैसे  flipkart से नहीं मिला तो amazon से खरीद लेंगे. 

दोस्ती भी इनकी ऐसी की जिंदगी भर साथ रह के देख लो फिर भी वो तुम्हें नहीं जान पाएंगे,  क्योंकि उनको जानना ही  नहीं है. जो खुद को ही नहीं जानना चाहते वो तुमको क्या जान लेंगे,  तुम तो उनके लिए उनके नेटवर्किंग का बस एक हिस्सा हो,  शायद कभी काम आ जाओ इसलिए रखा गया है तुमको. दोस्ती के नाम पर इनके पास है बस उबाऊ, फालतू और इधर-उधर की बातें. इनके बातों में कोई गहराई नहीं,  Instagram reels जैसी छिछली और सतही बातें, जो खुद कभी गहराई में नहीं उतरे वो तुमसे कैसे गहरी बात कर लेंगे. 

इनकी दोस्ती से अच्छा तो अकेला रह लो,  कभी अकेला लगे तो  नदी, पहाड़, पेड़ के साथ समय बीता लो.  ये लोग तो तुम्हारे मूलभूत स्वभाव को खत्म कर तुम्हें खुद की तरह बाजारू बना देंगे,  और इन्हें कोई अफसोस भी नहीं होगा क्योंकि उनके हिसाब से उन्होंने तो तुम्हें प्रैक्टिकल बनाया है. इनके अंदर कूछ भी शुद्ध नहीं बचा,  ये बाजार में बिकने वाले समान की तरह हो गए हैं. सब के सब एक जैसे,  वो सब एक जैसे बोलते है और एक ही जैसे सोचते हैं. 

ये कभी तुम्हारी सची खुशी के लिए ना सोच सकते हैं ना कुछ कर सकते हैं,  पर अगर तुम अपने या किसी  दिव्या इंसान के प्रयास से सची खुशी के रास्ते पर चलने लगे तो इनके छाती पे सांप लोटने लगता है,  ये ऐसे करते हैं जैसे हम सबने नारकीय जीवन जीने की शपथ खाई थी, अरे! तुम बाहर कैसे निकल सकते हो. और फिर ये सब लग जाते हैं केकड़े की तरह तुम्हें उसी गंदी तालाब में वापस खिंचने को.  

इन्हें दलदल में बड़ा सुकून आता है,  क्योंकि इन्होंने खुद को कभी दलदल से बाहर खड़े कल्पना ही नही कि,  दलदल ही इनकी दुनिया है. ना ये खुद निकलेंगे ना तुम्हें निकलने देंगे.  तुम्हें पता है कि दलदल तुम्हारी दुनिया नहीं है,  वो एक पडाव था,  इसलिए जब कोई अज्ञात रस्सी दिखे तुम निकल लो,  वो तुम्हें रोकना चाहेंगे क्योंकि उन्हें दलदल से प्यार है.  वो तुम्हें मुक्त होते नहीं देख सकते,  क्योंकि तुमको खुद के साथ दलदल में देख उनके अहंकार को शांति मिलती थी.  तुमने उनसे उनकी खुशी छिन ली.

Friday, June 17, 2022

बेचैनी

 

क्या है मेरे अन्दर जो डरता है, बेचैनी महसूस करता है. 

इंसानी संगत खोजता है,  अकेलेपन में पूरे गहरे उतर जाने से डरता है. 

फिर बुरी संगती मिलने पर पछताता है.

गर्मी की रात की ठंडी हवा के एक झोंके के साथ वो बेचैनी हमेशा के लिए गायब क्यों नहीं हो जाती ?

क्यों बार बार आती है ?

आज इस पल में यहाँ पूरी तरह उपस्थित रहना चाहता हूँ. 

प्रकाश और अंधकार के बीच का भेद समझना चाहता हूँ. 

खोकर उस यात्रा से फिर वापस आ जाना चाहता हूँ,

इस झूठी  सपनों की दुनिया में,  फिर से एक बार.

शायद इस बार पूरी तरह जग जाऊँ, 

खो जाना आसान है,  जागना मुश्किल.