Monday, April 25, 2022

मौन में विश्राम

 


और उस एक छण में जैसे सबकुछ शांत हो गया, 

और जैसे मैंने पहली बार सुना हो, 

 रात का सन्नाटा,  झींगुरो का शोर, 

दूर से पार होती एक ट्रेन की आवाज, 

पर मेरे मन में कोई शोर ना था, 

जैसे विचारों के कौतुहल के बाहर पहली बार देखा हो, 

एक नयी दुनिया, 

और मैंने महसूस किया अपने साँस को, 

भीतर से खुद के मौजूद होने के एहसास को, 

उस छण में किसी की जरूरत ना थी, 

फिर भी सब थे मेरे अन्दर,  मेरे साथ,  मुझमे ही कहीं, 

अब बस एक मुस्कान थी और
मौन में विश्राम.

5 comments:

  1. It's kind of meditation feeling while reading... awesome way of bringing peace ... relaxation...maun mein vishram

    ReplyDelete
  2. I can feel that calmness and peace what your poem wants to tell.

    ReplyDelete
  3. I can feel that calmness and peace what your poem wants to tell.

    ReplyDelete