पूरे होते तो कोई खिंचाव होता क्या?
साँसें जो हमेशा बेसब्र रहती हैं वो कुछ समय के लिए ही शांत हो पातीं हैं।
क्या मृत्य ही अंतिम आराम है?
आराम तो वहाँ भी नही।
कोई मुक्ति नही है।
एक सतत यात्रा है।
कुछ पल की शांति है।
कुछ पल की मौज है।
क्या कुछ अनंत ठहराव है?
मन के आगे कोई दुनिया भी है?
प्यार है?
(मेरे नोट्स से, कभी मई 2023 में लिखे गए)
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