Sunday, May 8, 2022

असमंजस


 असमंजस में हूँ, क्यों हूं, 

रास्ता बना हुआ नहीं है, बनाना पड़ेगा,  मुश्किल है, 

बने बनाए रास्तो पर चलना आसान था,  

अब कुछ आसान नहीं होगा, 

आसमान मंजिल है और पैर जमीन पर, 

ख्वाब और अतीत भ्रम है,  तो सच क्या है,  

मेरा क्या है,  या मेरा कुछ नही, 

अतीत की परछाई कमजोरी और डर साथ लाती है, 

डरते डरते ही सही,  चलना तो होगा,  

ना कहीं पहुचना है,  ना जितना है, 

पर सारे बंधनों से मुक्त होना है,  संपूर्ण आजादी चाहिए, 

जहा डर और कमजोरी का नामोनिशान ना हो .

1 comment:

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