इस बेचैनी को अंदर तक महसूस करना चाहता हूँ,
तुम्हारे न होने के दुःख को देख रहा हूँ,
सुना पड़ा कमरा, मृत्यु तुल्य सन्नाटा और कहीं से भी तुम्हारी आवाज न आने की निराशा,
यादें ही परेशान करती हैं या कुछ और भी है,
अभी तक तो ये भी समझ नही पाया हूँ कि, प्यार है, या मोह ,
इस बेचैनी, अकेलेपन के पीछे ही छुपी है एक गहरी शांति, मानता हूँ मैं,
पर शायद उसे जानने से कोसों दूर हूँ,
शायद ये इंसानी प्रवृति है कि जब कोई खास साथ हो, हम उसके महत्व को ठीक से समझ नही पाते, और उनके जाने या मरने के बाद रोते हैं,
शायद हम उन कुछ खास लोगों के साथ थोड़ा और बेहतर तरीके से जीना सीख सकते हैं,
क्या है जो हमें ये यकीन दिला देता है कि हमारे प्यारे लोग हमेशा रहेंगे ?
हम इतना निश्चिंत कैसे रह लेते हैं ?
क्या हम कभी ये सीख पाएंगे कि लोगों के साथ ऐसे रहो जैसे वो कल ही मरने वाले हों, या शायद अगले ही पल,
हम मृत्यु को इतना दूर रख कर कैसे जी लेते हैं?
कुछ करीबियों के आकस्मिक निधन और दूर चले जाने से मैंने जितना सीखा उतना और किसी से भी नही, जिंदगी अच्छा सीखा गई.
काश हर कोई ये सीख पाए, ये दुनिया को एक बेहतर जगह बना सकती है.
I can feel yet I can't feel actually.
ReplyDeletePlease elaborate 🙏
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